मेरा वतन, मेरा तिरंगा, इस मिट्टी की खुशबू मैं दिल में लिए चलता हूँ
जब जब क्रांति बुलाती है, मैं हज़ारों की तादाद में सड़कों पर निकलता हूँ
जब जब क्रांति बुलाती है, मैं हज़ारों की तादाद में सड़कों पर निकलता हूँ
कभी दिया बनके, तो कभी मोमबत्ती, तो कभी मशाल बनके मैं जलता हूँ
कभी मैं मंगल पांडे, कभी गाँधी, कभी अण्णा के रूप में ढलता हूँ
मैं हूँ एक आम हिन्दुस्तानी