मेरा वतन, मेरा तिरंगा, इस मिट्टी की खुशबू मैं दिल में लिए चलता हूँ
जब जब क्रांति बुलाती है, मैं हज़ारों की तादाद में सड़कों पर निकलता हूँ
जब जब क्रांति बुलाती है, मैं हज़ारों की तादाद में सड़कों पर निकलता हूँ
कभी दिया बनके, तो कभी मोमबत्ती, तो कभी मशाल बनके मैं जलता हूँ
कभी मैं मंगल पांडे, कभी गाँधी, कभी अण्णा के रूप में ढलता हूँ
मैं हूँ एक आम हिन्दुस्तानी
कभी राशन, कभी पेंशन, कभी स्कूल अड्मिशन के लिए जूझता हूँ
किसी रैली, कोई सभा, तो कभी राजघाट पर अपने आदर्शों को ढूँढता हूँ
माना भटके हुए हैं कदम मेरे स्वार्थी राजनीति के चक्रव्यूह में
पर आज भी अपने अंदर के अभिमन्यु को पूजता हूँ
मैं हूँ एक आम हिन्दुस्तानी
कभी कभी मैं खुद से लड़ता हूँ, खुद से झगड़ता हूँ
अपनी जड़ें छोड़ कर अपनी मिट्टी से उखड़ता हूँ
दूर देसों में रहकर हर रोज़ अपनों से बिछड़ता हूँ
पर हर बार, हर बार भारतीयता की कसौटी पर खरा उतरता हूँ
मैं हूँ एक आम हिन्दुस्तानी
उबलती भीड़ में एक व्यक्ति ना रहकर एक शक्ति बन जाता हूँ
बूँद होकर जो न कर पाऊँ, तूफ़ान बनके उस ज़िद पे ठन जाता हूँ
अगणित जनों की सेना खड़ी होने पर भी गर अहिंसा में बँध जाता हूँ
तो सुनो, वो इसलिए की मैं स्वाभिमान के साथ ही अमन चाहता हूँ
मैं हूँ एक आम हिन्दुस्तानी
मैं बस "मैं" था तो कुछ न था, आज मैं "हम" हूँ तो तूफ़ान हो गया हूँ
कई दिग्गजों के लिए कहर हो गया हूँ, कइयों के लिए वरदान हो गया हूँ
मैं खुश था तेरे पसरे हुए, पर सशक्त, हाथों में मेरा वतन देकर
आज तू फिर जो गया है, तो मैं भी बलवान हो गया हूँ
मैं हूँ एक आम हिन्दुस्तानी
- WordSmith & NikPak
mast... vachun kharach kahitari karawasa vatat.. just like that Anna Hajare Andolan b4 some months..
ReplyDelete